गाजीपुर।नगरपालिका परिषद ने गैरकानूनी और अपने ही बनाया “स्वकर” नियमावली के प्रस्तर-५ का खुला उल्लंघन करके गाजीपुर नगरपालिका वासियो पर जबरदस्ती स्वकर आरोपत २०११-१२ से आज तक की थी, जिसके विरोध मे एक जनहित याचिका मा़, उच्च न्यायालय मे राजेन्द्र कुमार गाजी ने दाखिल किए,जो नगरपालिका अध्यक्षा और उनके वकील के द्वारा भागने के कारण आज भी विचाराधीन है,! जिसकी प्रतिलिपि नगरपालिका अध्यक्षा और अधिकारी मा, न्यायालय और वादी द्वारा उपलब्ध कराए जाने के बाद उप्र, सरकार ने १९नवम्बर २०१९ को कैबिनेट की बैठक मे यह प्रस्ताव पारित हुआ की आज से नगरपालिकाओ,नगर पंचायतो मे भी स्वकर लागू किया गयाह है।
न्यायालय मे दाखिल जनहित याचिका ७९६/२०१९ पाने के पश्चात ऊप्र, सरकार ने १९ नवम्बर २०१९ मे पहली बार प्रदेश के नगरपालिकाओ और नगर पंचायतो मे स्वकर लागू करने का अध्यादेश लागू की थी और पुन: २०२४ मे दूसरा अध्यादेश स्वकर १ अप्रैल २०२५ से लागू करने का आदेश किया है! जिसपर अधिशासी अधिकारी ने दिसम्बर २०२४मे आपत्ति हेतु आमन्त्रण समाचार पत्रो के माध्यम से की थी, और उन आपत्तियो के निस्तारण २१,२२,और २४मार्च निर्धारित सुनवाई का की और आपत्तियो की सुनवाई करने के पश्चात दिनांक २५मार्च २०२५ को समाचार पत्र मे प्रकाशित कराया गया कि दिसम्बर २०२४ आये स्वकर आपत्तियो का निस्तारण कर दिया गया और १ अप्रैल २०२५ से निम्न दरो पर स्वकर लागू होगा। जानकारी के मुताबिक नगरपालिका परिषद गाजीपुर ने अपने प्रेस विज्ञप्ति मे यह कही भी उल्लेख नही की है कि २०११-१२ मे जो स्वकर गैरकानूनी तरीके से प्रदेश के एक मात्र नगर पालिका परिषद गाजीपुर मे लागू किया गया है। उसके संबंध मे फर्जी तरीके से बिना जिलाधकारी व कमिश्नर के सम्मुख बोर्ड द्वारा स्वकर आधा करने का प्रस्ताव पारित करने का अनुमति लिए बिना ,गैरकानूनी तरीके से लगाये गये है। जानकारों की मानें तो स्वकर को आधा करने का अधिकार अध्यक्षा को नगरपालिका अधिनियम १९१६ के किस धारा से मिला है, जो चुनावी वर्ष मे नगर की आम जनमानस को गुमराह करने के लिए घोषित की थी, इस पर वर्तमान नगरपालिका बोर्ड और अधिशासी अधिकारी महोदया ने क्या कार्वाइ की है, उसका उल्लेख नही किया गया है। ऐसा प्रतित हो रहा है कि नगर की आम जनमानस और लडाकू समाजसेवी को लालीपाप दिखाकर पुन:२०११-१२ की तरह ही इस बार भी करोपित करने का साजिश अध्यक्षा महोदया,अधिशासी महोदया के माध्यम से करना चाह रही है क्या ?
दूसरा सवाल मेरा यह है कि जब गैर-कानूनी तरीके से लगाए गये स्वकर के बिरुद्ध मा, उच्च न्यायालय प्रयागराज मे जनहित याचिका ७९६/२०१९अभी विचाराधीन सिर्फ इसलिए है १४ अप्रैल १०१९को प्रथम तिथि पर नगर पालिका परिषद गाजीपुर के विद्वान अधिवक्ता एक सप्ताह का समय माननीय न्यायाधीश द्वय से लेने के बाद २०१९ से २०२५तक न्यायालय मे हाजिर होकर मेरे वाद या आपति विरोध करके निस्तारित करा देते,लेकिन मेरे जनहित याचिका का बिना निस्तारण हुए,ऊप्र, सरकार और नगरपालिका परिषद गाजीपुर मा, उच्च न्यायालय मे प्रतिवादी रहते , स्वकर अध्यादेश २०२५ को लागू करना इस बात को साबित करता है कि नगरपालिका अध्यक्षा ,अधिशासी अधिकारी और उप्र सरकार लडाकू समाजसेवियो और मा, उच्च न्यायालय को ठेंगा दिखाने का काम कर रही है। राजेन्द्र कुमार गाजी, समाजसेवक एंव वादी जनहित याचिका न०७९६/२०१९